पेट्रोल पंप पर काम वाले के बेटे ने किया कमाल,UPSC में हासिल की 93 वें रैंक
नई दिल्ली। कहते हैं अरे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है कुछ इस तरह की मिसाल पेश की है इंदौर के देवास नाका क्षेत्र में रहने वाले पेट्रोल पंप कर्मचारी मनोज सिंह के बेटे प्रदीप में प्रदीप ने यूपीएससी(UPSC )की सिविल सेवा परीक्षा 2018 में ऑल इंडिया 93 रैंक हासिल की है।
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UPSC (यूपीएससी) ने शुक्रवार रात यूपीएसएसी परीक्षा के नतीजों का ऐलान कर दिया। इस बार राजस्थान के कनिष्क कटारिया ने टॉप किया है। प्रदीप ने आल इंडिया 93वीं रैंक हासिल की है। प्रदीप के पिता पेट्रोल पम्प पर काम करते हैं। प्रदीप को पढ़ाने के लिए उनके पिता ने घर बेच दिया था और किराए के घर में रहते हैं।उनकी कामयाबी इसलिए भी खास है, क्योंकि प्रदीप के पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं। सीमित आय होने के बावजूद उन्होंने बेटे का हौसला बढ़ाया और आज प्रदीप ने पिता का सपना पूरा कर दिखाया। प्रदीप ने वीडियो कॉल कर अपनी सफलता के बारे में जब परिजनों को बताया तो सभी खुशी से झूम उठे।प्रदीप सिंह मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले है।प्रदीप सिंह वैसे तो बिहार के रहने वाले है ।
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UPSC (यूपीएससी) में 93 वी रैंक पाने वाले प्रदीप सिंह फिलहाल दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे थे। गरीबी से जूझने के बाद भी उनके माता-पिता ने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्रदीप सिंह के पिता ने बताया की उन्होंने अपनी जरूरतों को कम कर अपने बच्चों को पढ़ाया और उसी का नतीजा है कि बेटा आज कलेक्टर बन गया है। कई बार मुसीबत के पहाड़ आए, लेकिन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी।
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प्रदीप सिंह ने बताया ,दिल्ली में पढ़ाने के लिए जब उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने अपना मकान बेच दिया और बच्चे को पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजा। अब तक परिवार किराए के मकान में ही रहता है। इसके अलावा मां ने बच्चे की पढ़ाई के लिए अपने गहनों को बेच दिया और पढ़ाई जारी रखने की बात कही। इंदौर डीएवीवी से पढ़ाई करने के बाद प्रदीप ने दिल्ली का रूख का किया। प्रदीप के चयन की सूचना मिलते ही उनके परिजनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। साथ ही कई रिश्तेदार भी उनके घर पहुंचे और गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी।
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प्रदीप ने कहा कि कुछ समय पहले दिल्ली में कोचिंग भी की थी। परिवार में दो भाई और मां अनीता हैं। प्रदीप ने कहा- बचपन से ही सपना था कि कुछ कर दिखाऊं। जब बीकॉम ऑनर्स में एडमिशन लिया था, तभी से सपना था कि कुछ बनना है। पिता मनोज का कहना है कि मेरे लिए आज का दिन कभी नहीं भूलने वाला दिन है। कुछ साल पहले मैंने इसकी कल्पना भी नहीं की थी कि बेटा देश में नाम रोशन करेगा। मैं बहुत खुश हूं।
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