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डिंपल यादव का राजनीतिक सफर,कब,कैसे,कहाँ से आई,जानिये दिलचप्स बातें इस लेख में

डिंपल यादव का राजनीतिक सफर,कब,कैसे,कहाँ से आई,जानिये दिलचप्स बातें इस लेख में



डिंपल यादव जोकि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी है।इसके पहले वो क्या थी कहा से आयी है कैसे मुलाक़ात हुई अखिलेश यादव से, कब उनके साथ शादी हुई और राजनीतिक सफर की शुरुवात कैसे हुई ।आज हम अपनी इस लेख की बारें में बताएँगे ।



डिंपल यादव बहुत सरल स्वाभाव,मिलनसार और अपनी बातों को बहुत ही सहज तरीके से रखती है ।वो जनता की सामने अपनी बातें अपनी सरलता से रखती है ।समाजवादी पार्टी की नेता वो ऐसे नहीं बनी,अपनी काबिलियत,मेहनत के बलबूते उन्होंने ऐसा मुकाम हासिल किया है।आपको बता दें अखिलेश यादव के बाद वो समाजवादी पार्टी की दूसरे नंबर की नेता मानी जाती है ।राजनीतिक ऑफर में आने से पहले वो आर्मी फॅमिली की बैकग्राउंड से आती है । ये शायद कम लोग ही जानते होंगे ।आइयें हम जानते है कैसे हुई उनकी मुलाक़ात अखिलेश यादव से


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अखिलेश यादव की पहले बनी दोस्त,उसके बाद हुई शादी


अखिलेश यादव के साथ शुरुआती दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई। अखिलेश शुरू से ही डिंपल के लिए संजीदा थे, उनसे शादी करना चाहते थे। लेकिन अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव चाहते थे कि उनके बेटे की शादी लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती से हो जाए। लेकिन अखिलेश ठान चुके थे कि वह अपनी जीवनसंगिनी डिंपल को ही बनाएंगे। अपने पिता को मनाने के लिए अखिलेश ने अपनी दादी मूर्ति देवी से सिफारिश लगाई। बस फिर क्या था, दादी ने पिता मुलायम को मना लिया और आखिरकार डिंपल रावत अखिलेश यादव की पत्नी बन ही गईं।


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राजनीतिक सफर की शुरुआत नहीं थी आसान
डिंपल यादव के राजनीतिक सफर की शुरू साल 2009 में हुई। फिरोजाबाद में हुए अपने पहले चुनाव में उनका सामना राज बब्बर से हुआ। डिंपल इस स्थिति को संभालने के हिसाब से इतनी अनुभवी नहीं थीं और नतीजा ये हुआ कि वह हार गईं। लेकिन अपनी शुरुआती नाकामी के बाद जल्द ही डिंपल ने काफी कुछ सीख लिया और इसी की बदौलत साल 2012 में वह कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गईं। पत्नी डिंपल को कन्नौज को सांसद में भेजने के लिए अखिलेश ने ये सीट खाली कर दी थी। यही नहीं, डिंपल के इस सीट पर खड़े होते ही चुनाव लड़ने वाले अन्य उम्मीदवारों ने भी अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया था।


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डिंपल यादव हर मोर्चे पर साथ देती है अखिलेश यादव का


डिंपल यादव अखिलेश मिजाज में से काफी अलग हैं। डिंपल मॉडर्न वुमन हैं और अखिलेश जमीनी और मिलनसार नेता। अखिलेश यादव राजनीतिक बैकग्राउंड से रहे और डिंपल यादव आर्मी बैकग्राउंड से। हमेशा लो प्रोफाइल रहने वाली डिंपल ज्यादातर मौकों पर अखिलेश के साथ खड़ी नजर आई हैं। जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा की है और राजनीतिक मंचों से महिलाओं से संवाद स्थापित किया है, उससे समाजवादी पार्टी को लेकर महिलाओं के रवैये में बड़ा बदलाव आया है। पहले क्राइम अगेंस्ट वुमन के मामले में समाजवादी पार्टी का रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा, बलात्कार पर ‘लड़कों से गलती’ जैसे बयान खुद मुलायम सिंह की तरफ से आए, लेकिन डिंपल यादव अब इन कमियों को प्रभावी तरीके से पूरा कर रही हैं। यूपी चुनाव के दौरान जारी हुए सपा के वीडियो ‘अपने तो अपने होते हैं’ का आइडिया डिंपल यादव का ही था।


जहां अखिलेश यादव अपनी रैलियों में विकास और सड़क और इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की बात करते हैं, वहीं डिंपल अपनी रैलियों में महिलाओं के हक में आवाज उठाती हैं, महिला अधिकारों की बात करती हैं। यूपी से खड़ी होने वाली महिला प्रत्याशितों के लिए डिंपल ने खुलकर चुनाव प्रचार किया था। डिंपल की चुनावी रैलियों में महिलाओं की तादाद अच्छी-खासी होती है। पिछले कुछ सालों में डिंपल यादव की नेतृत्व क्षमता में जिस तरह का बदलाव आया है, उससे साफ है कि आने वाले समय में वह नई ऊंचाइयों को छू सकती हैं।



बड़े राजनीतिक परिवार की महिला नेता है डिंपल यादव


समाजवादी पार्टी में सियासी दावेदारी के लिए पिछले कुछ समय में खूब घमासान देखने को मिली थी। जिस समाजवादी पार्टी में कभी पार्टी में अमर सिंह, शिवपाल सिंह यादव और आजम खान जैसे नेताओं की तूती बोलती थी और किसी महिला नेता का नामोनिशान नहीं था, वहीं आज डिंपल यादव ने अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर इस कमी को पूरा कर दिया है। डिंपल यादव ने यूपी चुनाव में उन्होंने अपने पति, परिवार और पार्टी के लिए जोर-शोर से प्रचार किया। सपा की सोशल मीडिया कैंपेनिंग का जिम्मा भी डिंपल ने ही उठाया था। डिंपल यादव जहां कांग्रेस की सबसे कद्दावर महिला नेता प्रियंका गांधी के समकक्ष खड़ी होने का माद्दा रखती हैं, तो वहीं मायावती को भी कड़ी टक्कर दे सकती हैं।


 


 


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