Ad Code

Responsive Advertisement

शिव रात्रि क्यों मनाई जाती है? आइयें जानते है .. इसका महत्त्व है

 


शिव रात्रि क्यों मनाई  जाती है? आइयें जानते है .. इसका महत्त्व है 


हिंदू धर्म में शिवरात्रि का विशेष महत्व है। शिव भक्त साल भर शिवरात्रि का इंतजार करते हैं। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव को फल-फूल अर्पित करते हैं और शिवलिंग पर दूध व जल अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है। अगर नहीं, तो चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे छिपे राज के बारे में।



महाशिवरात्रि को लेकर कई पोराणिक कथाएं प्रचलित हैं। पुराणों के अनुसार समुंद्र मंथन के समय वासुकी नाग के मुख में भयंकर विष ज्वालाएं उठी और वे समुद्र में मिश्रित हो विष के रुप में प्रक्रट हुई।


विष की यह आग पूरे ब्रह्माण में फैलने लगी। जिसे देख सभी देवता, ऋषि मुनि भगवान शिव के पास मदद के लिए पहुंचे। भगवान शिव ने उस विष को पी लियो, जिसके बाद से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा।


शिव जी द्वारा इस विपदा को झेलने और विष की शांति के लिए चंद्रमा की चांदनी में सभी देवों ने रात भर शिव का गुणगान किया, तब वो रात्रि शिवरात्रि के नाम से जानी गई।


वहीं लिंग पुराण के मुताबिक, शिवरात्रि की कहानी ब्रह्मा और विष्णु से जुड़ी है। दरअसल, ब्रह्मा और विष्णु में एक बार इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में से सर्वश्रेष्ठ कौन है।


आलम यह हुआ कि दोनों ने अपनी दिव्य अस्त्र शस्त्रों का इस्तेमाल कर युद्ध की घोषणा की। इसके बाद चारों ओर हड़कंप मच गया, जिसे देख देवताओं और ऋषि मुनियों मे शिव जी का रुख किया। इस विवाद को खत्म करने के लिए शिव जी ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रक्रट हुए।


यह एक ऐसा लिंग था जिसका न कोई आदि था न कोई अंत।इस लिंग का परीक्षण करने के लिए भगवान विष्णु सूकर और ब्रह्मा जी हंस का रुप धारण किया, लेकिन दोनों को कोई सफलता हासिल नहीं हुई, जिसके बाद दोनों ने ज्योतिर्लिंग को प्रणाम किया। इसी दौरान उन्होंने ऊं की ध्वनि सुन शुद्ध स्फटिक की तरह भगवान शिव को देखा।


इस अदभुत दृश्य को देख ब्रह्मा और विष्णु अति प्रसन्न हो शिव की स्तुति करने लगे। प्रथम बार शिव को ज्योतिर्लिंग में प्रकट होने पर इसे शिवरात्रि के रूप में मनाया गया।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ