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नोएडा में गिराए जाएंगे 40-मंजिला ट्विन टावर - सुपरटेक एमेराल्ड मामले में SC का बड़ा फैसला

नोएडा में गिराए जाएंगे 40-मंजिला ट्विन टावर - सुपरटेक एमेराल्ड मामले में SC का बड़ा फैसला



 नोएडा के सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लोगों के लिए आज एक बड़ा दिन है. आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें इस कोर्ट के भीतर बने दो बड़े टावर को ध्वस्त करने के आदेश जारी हो गए हैं. यह मामला कई सालों से अदालत में चल रहा था. दरअसल सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में कई टॉवर्स बने हुए हैं, जिसके भीतर रहने वाले लोगों का कहना है कि जब उन्होंने शिफ्ट किया तो उसी कैंपस में दो और टावर बनने शुरू हो गए. हालांकि वह जगह बिल्डर ने पार्क के लिए बताई थी, जिसके बाद आरडब्लूए की तरफ से बार-बार बिल्डर से इस बात की शिकायत करके पूरी जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन कोई हल न निकलने के बाद यह मामला एफआईआर, अलग-अलग अथॉरिटी से शिकायत और फिर कोर्ट तक पहुंच गया.

अब कोर्ट के फैसले में  सुपरटेक और नोएडा अथॉरिटी की तरफ से की गई गलतियां सामने आईं हैं. 2009 और 2012 में अथॉरिटी की तरफ से दी गई अनुमति नियम के विरुद्ध थी, यह बात भी पुख्ता हो गई. 2014 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में भी मिलीभगत की बात सामने आई थी और अब साल 2021 में दोनों टावरों को गिराए जाने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने भी दे दिए हैं. 


सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सोसाइटी के लोग बेहद खुश नजर आए. लोगों ने मिठाइयां बांटी और जीत का जश्न मनाया. एबीपी न्यूज़ ने इस सोसाइटी के आरडब्ल्यूए प्रेजिडेंट राजेश कुमार राणा और पूर्व प्रेज़िडेंट से बात की. पूर्व प्रेसिडेंट ने कहा कि यहां 2010 में जब शिफ्ट किया तो देखा कि जो सुविधा देनी चाहिए थी वह नहीं दी जा रही थी. पहले हमने उनसे बात करके कोशिश की, लेकिन बिल्डर ने कोई तवज्जो नहीं दिया. फिर हमने सबसे पहले एफआईआर कराई, नोएडा अथॉरिटी, पुलिस और जहां जहां पर हम शिकायत कर सकते थे, हमने सब किया. 

उन्होंने कहा, "हमने समझा के यहां से कुछ नहीं होगा,तो हमने 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में केस फाइल किया. जब हमने केस फाइल किया था तब हमारे पास कोई भी डॉक्यूमेंट नहीं था. सिर्फ 5 से 7 लेटर थे जो हमने लिखे थे. उस स्टेज से हमने यह केस शुरू किया था. 2 साल के अंदर हाईकोर्ट ने यह जो टावर खड़े हैं, उनको डेमोलिश करने के लिए ऑर्डर दे दिया था."  उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरडब्ल्यूए को दो करोड़ पर दिए जाएं. आरडब्ल्यूए का जो खर्च हुआ है, उसको लेकर उनका कहना है कि शायद इससे ज्यादा ही पैसे खर्च हो गए हैं, लेकिन अपने संविधान पर पूरा भरोसा था और जो फैसला आया है उससे बेहद खुश हैं. 

सोसाइटी के बाकी लोग भी बेहद खुश हैं, क्योंकि उनका कहना है कि इतने सालों तक जिन टावरों के सामने वह बड़े टॉवर बन रहे थे, वहां रहने वाले लोगों के लिए बहुत सारी समस्याएं थीं. पानी भर जाता था, हवा और धूप बिल्कुल नहीं आती थी. जिस वजह से कई साल बेहद परेशानी के साथ गुजारे हैं.  कोर्ट के आदेश के मुताबिक 3 महीने के अंदर यह दोनों टॉवर गिराए जाएंगे, जिसके गिराए जाने का काम एक्सपर्ट एजेंसी की निगरानी में होगा. साथ ही इस बिल्डिंग में फ्लैट खरीदारों को 2 महीने में 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पैसे वापस दिए जाएंगे.


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