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SUCCESS Story :हौंसलों की उड़ान! 8 साल की उम्र में हुई शादी, पति ने ऑटो चलाकर पत्नी को बनाया डॉक्टर

SUCCESS Story :हौंसलों की उड़ान! 8 साल की उम्र में हुई शादी, पति ने ऑटो चलाकर पत्नी को बनाया डॉक्टर



दिल्ली: 'कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती'। इन लाइनों को सच करती एक कहानी राजस्थान के चौमू से सामने आई है। आठ साल की उम्र में शादी होने के बाद रूपा यादव ने सपने देखने नहीं छोड़ा। ये रूपा के हौंसलो की उड़ान ही थी जो डॉक्टर बनने के लिए उसे नाम के सारी चुनौतियों को पार करते हुए NEET की परीक्षा पास कर ली। रूपा ने आल इंडिया रेंक 2283 और ओबीसी में 658 रेंक हासिल की है। 


रूपा शुरूआत से ही पढ़ाई में तेज थी लेकिन बाल विवाह होने के कारण उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए रूक गई थी। बाल विवाह के समय रूपा की उम्र मात्र 8 साल थी और वो तीसरी कक्षा में पढ़ रहीं थी। लेकिन पढ़ाई के प्रति लगन और हार ना मानने वाली हौसलों से रूपा ने गृहणि से डॉक्टर तक का सफर तय किया। वे संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताती है कि एक समय ऐसा था जब पारिवारिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई थी। पढ़ाई करने लिए पैसे भी नहीं थे। लेकिन उनके हौसले नहीं डगमगाए। वे बताती है स्कूल घर से काफी दूर था। जिसके लिए उन्हें गांव से तीन किलोमीटर दूर स्टेशन तक जाना होता था, जहां बस में बैठकर वो स्कूल पहुंचती थी। इस दौरान घर के कामकाज भी एक बड़ी चुनौती थे। 
डॉक्टर ही क्यों?


रूपा बताती है कि समय पर उपचार नही मिलने के कारण उनके चाचा भीमाराम यादव की हर्ट अटैक से मौत हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने बॉयलाजी लेकर डॉक्टर बनने का संकल्प लिया था। उसी संकल्प के चलते रूपा ने दिन राम मेहनत की और NEET की परीक्षा उत्तीर्ण की।


पहले भी पास की थी NEET की परीक्षा
रूपा इससे पहले भी नीट की परीक्षा पास कर चुकी है। वे बताती हैं कि 2016 में उन्होंने पहली बार NEET की परीक्षा पास की थी। लेकिन रेंक के अनुसार उन्हें महाराष्ट्र स्टेट मिला था, जहां भेजने के लिए ससुराल वाले नहीं माने। इसके बाद 2017 में रूपा ने फिर से NEET की परीक्षा दी और इस बार ऑल इंडिया 2283 रेंक हासिल की। 


परिवार वालों ने दिया साथ
रूपा बताती है कि शादी के बाद उनके जीजा बाबूलाल व बहन रुक्मा देवी ने उसकी पढाई की रूचि को देखते हुए उनका साथ दिया। सामाजिक बाध्यताओं को दरकिनार करते हुए पढ़ाई शुरू कराई। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दोनों ने खेती करने के साथ-साथ टेंपो भी चलाया। रूपा ने जब डॉक्टर बनने की इच्छा अपने पति और जीजा को बताई तो उन्होंने रूपा को कोटा से कोचिंग दिलाई। 


पत्नि को देख पति ने शुरू की पढ़ाई
रूपा को पढ़ता देख पति शंकर लाल यादव के मन में भी पढ़ाई के प्रति इच्छा जाग्रित हुई। जिसके बाद उन्होंने भी पढ़ना शुरू कर दिया। वर्तमान में शंकर एम।ए प्रथम वर्ष में अध्ययन कर रहे हैं। 


 


 


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