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 नर्स से SDM बनने का सफर



 नर्स से SDM बनने का सफर

 


 




SUNDAY SUCCESS STORY-इस बार संडे सक्सेस स्टोरी में कहानी एक माँ की जो नर्सिंग स्टाफ की नौकरी करते हुए ना सिर्फ अपने दो छोटे बच्चों की देखभाल की बल्कि इस दौरान रोजाना 2-3 घंटे पढ़ाई के लिए वक़्त भी निकाला और पहली कोशिश में SDM बन गई। ये कहानी है बिहार सिविल सेवा परीक्षा 2016 में SDM बनी प्रीति कुमारी की जिनकी शुरूआती पढ़ाई गांव में हुई और फिर नर्सिंग की पढ़ाई करके उन्होंने AIIMS पटना में 5 साल तक नौकरी की. इसी दौरान प्रीति ने प्रशासनिक सेवा में आने की ठानी फिर वो अपनी तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए पहली ही कोशिश में अपने सपने को साकार करने में कामयाब रहीं। प्रीति के संघर्ष और सफलता की कहानी महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं।


 


बिहार की रहने वाली प्रीति कुमारी की सफलता से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने ना सिर्फ कम संसाधनों में बल्कि मां होने के साथ-साथ नौकरी की भी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। उनके लिए बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल करना आसान नहीं था। तैयारी के दिनों में वो नौकरी और परिवार दोनों की जरूरतों को देखते हुए अपनी तैयारी के लिए समय निकाला।


प्रीति कुमारी के मुताबिका बिहार लोक सेवा आयोग हो या बाकी परीक्षाओं के लिए लोग अलग-अलग शहरों में जाकर पढ़ाई करते हैं, लेकिन मेरे पास इतना समय नहीं था। बता दें कि उन्होंने साल 2016 में बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 236वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव की सरकारी स्कूल से ही पूरी की। बता दें कि नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एम्स पटना में पांच साल तक नौकरी।



नर्स की नौकरी के दौरान प्रीति की सैलरी काफी अच्छी थी, लेकिन वो सामाजिक कार्यों में रुचि रखती थी। वो चाहती थी कि उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाने का मौका मिला ताकी उन्हें लोगों से मिलने का मौका मिला। हालांकि उनके पिता नहीं चाहते थे लेकिन प्रीति अपने पहले बच्चे के जन्म के बाद ही बिहार सिविल सेवा आयोग के लिए फॉर्म भर दिया था। उन्होंने बताया जब वो इस परीक्षा के पीटी की तैयारी कर रही थी तब वो चार महीने की प्रेग्नेंट थी। इस दौरान वो दो महीने तक लगातार तैयारी करती रहीं।


इसी दौरान प्रीति ने प्रशासनिक सेवा की भी तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि  भले ही सिविल सेवा आयोग की तैयारी करने के लिए मेरे पास वक्त नहीं था, लेकिन मैंने नौकरी और घर के बचे हुए काम से समय निकालने में कामयाब रहती थीं। प्रीति ने बताया कि तैयारी के लिए वो रोजाना 2 से 3 घंटे तक पढ़ाई थी।




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