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Sunday Success Story: असफलताओं के बाद मिली सफलता,जानिये आईएएस रेना जमील की कहानी उन्हीं की जुबानी 

IAS Sunday Success Story: असफलताओं के बाद मिली सफलता,जानिये आईएएस रेना जमील की कहानी उन्हीं की जुबानी 



IAS Success Story: IAS बनने के लिए रेना जमील ने काफी मेहनत है। 3 बार तक इस परीक्षा में असफलता हासिल करने के बाद रेना का कॉन्फिडेंस गिरता जा रहा था। उन्होंने तय कर लिया था कि आगे वो इस परीक्षा को नहीं देंगी।रेना जमील के मुताबिक उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करीबन तीन बार की लेकिन उन्हें प्रीलिम्स में भी सफलता हासिल नहीं हुई। रिजल्ट आने के बाद वो काफी निराश हुईं थी, उन्होंने तय किया कि उनका ये अटेम्प्ट आखिरी होगा। अगर वो इस परीक्षा को नहीं पास कर पाई तो वो उसे हमेशा के लिए छोड़ देंगी।  



रेना जमील ने जब साल 2016 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी तो उन्हें 882 रैंक हासिल हुईं थी। रेना जमील ने अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट में जूलॉजी लिया था। ग्रैजुएशन में जूलॉजी होने की वजह से उन्होंने इसे ऑप्शनल सब्जेक्ट तो बना लिया था लेकिन तैयारी के वक्त कई तरह के मुश्किलों का सामना करना पड़ा।



कई बार क्या पढ़ें और क्या न पढ़े जैसी दुविधा में फंस जाती, क्योंकि तीन महीने के अंदर जूलॉजी के पूरे सिलेबस को कवर करना काफी मुश्किल काम है। जब रिजल्ट आया तो मैंने 882 रैंक हासिल की थी, लेकिन जूलॉजी में काफी कम मार्क्स मिले थे। इस रैंक से उन्हें इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस मिला था, लेकिन वो आईएएस बनना चाहती थी।



ऐसे में उन्होंने ट्रेनिंग ज्वाइन किया और ट्रेनिंग के साथ साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा फिर से दी। इस बार वो प्रीलिम्स में ही फेल हो गईं। इस अफलता से उन्हें काफी हैरानी हुई लेकिन हार नहीं मानी। सर्विस के दौरान उन्होंने कुछ दिनों की छुट्टी ली और फिर से तैयारी शुरू कर दी। इसके बाद साल 2018 में उन्होंने 380 रैंक हासिल की।



 रेना झारखंड धनबाद ज़िले के छोटे गांव में पैदा हुईं हैं। उनके पिता मोहम्मद जमील अंसारी टाटा कम्पनी से रिटायर हो चुके हैं। मां एक हाउस मेकर हैं। रेना ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई गांव में उर्दू मीडियम से पूरी की। इसके बाद उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की। उन्होंने जूलॉजी में बीएससी करने के बाद एमएसी की डिग्री हासिल की। जिसके बाद उन्होंने बीएड किया।



रेना के मुताबिक 380 रैंक लाना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन कई बार लोग सिलेबस में फंस जाते हैं। कभी लोग अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन करते हुए उसकी तैयारी किस तरह करनी है इस बारे में नहीं समझ पाते हैं। इसके साथ ही बाकी सब्जेक्ट पर भी पकड़ बनाए रखना होता है, जिसकी वजह से काफी मुश्किल में पड़ जाते हैं, लेकिन अगर आप प्लानिंग के साथ चलेंगे तो इसे आसानी से क्रैक कर सकते हैं।


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