अध्यन में पता चला,बेटियों के पिता लैंगिक भेदभाव कम करते है
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देश-विदेश में महिळाओं के साथ जो भेद भाव होते है वो किसी से छुपा नहीं है चाहे किसी भी प्रकार भेदभाव- अत्याचार हो,ये भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में देखने को और सुनने को मिलता है.हाल में ही किये गए अध्ययन में सामने आया है कि महिलाओं से भेदभाव करने में ज्यादा पुरुष होते है.वही पुरुष ज्यादा भेद भाव करते है जिनकी बेटी नहीं होती है. अध्ययन में ये भी पाया गया है कि जिन पुरुष की संतान बेटी होती वो महिलाओं का सम्मान अधिक करते है.या फिर जो पुरुष बेटी के पिता हो ,वो महिलाओं का सम्मान करते है. उनमें महिलाओं के साथ भेदभाव की पारंपरिक सोच होने की संभावना कम होती है। जब तक बेटी स्कूल में जाने तक उम्र बढ़ जाती है ये संभावनाएं कम हो जाती हैब्रिटेन में 1991 से 2012 के बीच के दो दशकों के एक सर्वेक्षण में कई माता पिता से बात की गई।
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उनके पूछा गया कि क्या वह पुरुषों के नौकरी करने और महिलाओं के सिर्फ घर संभालने की पारंपरिक सोच का समर्थन करते हैं। लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स ऐंड पॉलिटिकल साइंस (एलएसई) के शोधार्थियों ने संतान के रूप में बेटी के जन्म के बाद महिलाओं और पुरुषों पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया।शोधार्थियों ने पाया कि संतान के रूप में बेटी पाने वाले पिताओं की लैंगिक भूमिका के प्रति पारंपरिक सोच रखने की संभावना कम होती है। जब बेटी स्कूल जाने की उम्र तक पहुंचती है तो पिता में पारंपरिक सोच की संभावना और कम हो जाती है।
शोधार्थियों ने कहा कि वहीं दूसरी ओर, माताओं के पारंपरिक सोच रखने की संभावना शुरू से ही कम होती है, इसका बेटी होने से संबंध बहुत कम है। उसका कारण यह है कि महिलाएं पहले से ही पारंपरिक सोच का सामना स्वयं कर चुकी होती हैं।
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